अस्थमा क्या है?
अस्थमा(दमा) वह अवस्था है जब हमारा वायुमार्ग या फेफड़े की नलियाँ पतली हो जाती हैं जिससे हमें सांस लेने में अवरुद्ध होता है। इस बिमारी को दमा भी कहते हैं।
दमा से पीड़ित व्यक्ति को बहुत सारी समस्याएँ का सामना करना पड़ता है। जैसे कि वह उठने -बैठने या थोड़ा भी शारीरिक श्रम करने में थकावट महसूस करते हैंऔर उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है।
आज हम इस लेख में जानेंगे कि अस्थमा क्यों होता है उसके लक्षण क्या है और उसके उपचार क्या हैं।
अस्थमा(दमा) के लक्षण
Asthma(दमा) लक्षण कुछ इस प्रकार हैं
- सांस लेने में तकलीफ होना
- अत्यधिक खांसी आना (खासतौर पर रात के समय)
- धूल और धुएं से एलर्जी
- सांस लेने में तकलीफ होना
अस्थमा(दमा) के कारण
अस्थमा विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकता है। हालांकि चिकत्साविज्ञान ने इसका कोई ठोस कारण नहीं ज्ञात कर पाया है
आइये देखते हैं दमा के कुछ मुख्य कारण
- अनुवांशिकी(Hereditary) ; कभी -कभी दमा अगर माता पिता को प्रबल होता है तो वो बच्चो के अंदर भी देखने को मिलता है।
- मौसमी उलटफेर ; मौसम के बदलने से वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है खासतौर पर उन लोगो को जिन्हे ये बीमारी बचपन से होती है।
- श्वसन नालिका में इन्फेक्शन के कारण
- धूल, धुआँ और मिटटी के कारण
कुछ महत्वपूर्ण बाते जो आपको अस्थमा बीमारी को जानने में मदद करेंगी
- अस्थमा के मरीज का प्रमुख लक्षण ये होता है की उसकी सांस बहुत फूलती है और सांस लेने में तकलीफ रहती है
- ऐसा भी होता है कि कुछ दूर चलने पर लोगो को थकान लगने लग जाती है। ऐसे लोगों में अस्थमा के लक्षण पाए जा सकते हैं।
- अगर किसी व्यक्ति को हमेशा सर्दी जुकाम की समस्या रहती है तो उसे डॉक्टर से एक बार संपर्क अवश्य करना चाहिए।
- धूल और धुएँ से जिस भी व्यक्ति को एलर्जी है उसे इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए।
- सीने में दर्द होना भी अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं।
- सांस की नालियों में इन्फेक्शन होना और साँसे लेते वक़्त सीटी सी आवाज़ निकलना अस्थमा के प्रबल लक्षणों में से एक है।
अस्थमा की जांच
अगर किसी भी व्यक्ति को उपरोक्त लक्षण दिखाई देते हैं तो वो डॉक्टर से संपर्क करें और उनसे जाँच करवाएं। सही तरीके से मालूम होने पर अस्थमा का नियंत्रण संभव हो सकता है।
डॉक्टर खून की जाँच के द्वारा भी अस्थमा का पता लगा सकते हैं
पीक-फ्लो मीटर टेस्ट – इसमें डॉक्टर एक छोटे से डिवाइस से आपके फेफड़ो की शक्ति को नापता है। बस इस डिवाइस में आपको फूंक मारनी है और ये डिवाइस बता देगा की आपकी फेफड़ो की शक्ति नार्मल है या नहीं।
स्पाइरोमेट्री टेस्ट – अगर डॉक्टर को संदेह होता कि आपको अस्थमा हो सकता है तो वो इस टेस्ट को करते हैं। स्पाइरोमीटर आपके फेफड़ो द्वारा रोकी जाने वाली हवा को मापता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि फेफड़ो में हवा कितनी अच्छी तरह से अंदर आती है और बाहर जाती है।
अस्थमा का इलाज़
अस्थमा का कोई शर्तिया इलाज़ अभी तक संभव नहीं हो पाया है। हालाँकि इसे कंट्रोल किया जा सकता है। अगर हम नियमित दवा लेते है तो काफी हद तक हम अस्थमा को नियंत्रण में रख सकते हैं। ज्यादातर लोग इन्हेलर्स का प्रयोग करते है क्योंकि इन्हेलर्स दवा को फेफड़ो तक पहुंचाने का उत्तम साधन है लेकिन इन्हेलर्स का सही तरह से उपयोग करना भी अत्यंत आवश्यक है नहीं तो दवा के कण फेफड़ो में न जाने के बजाय हमारे गले में इकट्ठे हो सकते है जिससे बहुत बड़ी समस्या हो सकती है।
अस्थमा का इलाज़ आयुर्वेद में
आपको ज्ञात होगा कि आयुर्वेद में हमारे सभी बिमारियों का हल है। पुरातन काल से चली आ रही आयुर्वेद की पद्यति हमें यह सिखाती है कि कोई भी जटिल से जटिल बीमारी को हम आयुर्वेद से नियंत्रण में रख सकते हैं
आज हम ऐसी ही एक आयुर्वेदिक मिश्रण की बात करेंगे जो अस्थमा को नियंत्रण करने में उपयोगी साबित हो सकता है।
25 से 30 जड़ी बूटियों से बना ये मिश्रण हमारे सांस फूलने की बीमारी(दमा) हो या फिर एलर्जी(साइनोसाइटिस, रायनाइटिस ) हो सभी में उपयोगी है
हम बात कर रहे है धामी सिरप(Dhami Syrup) के बारे में
धामी सिरप की कुछ विशेषताएं
- यह आपके श्वसन तंत्र को निरोगी एवं स्वस्थ रखता है।
- पुरानी खांसी आना , सांस लेने में तकलीफ होने आदि में प्रभावी है
- कोरोना के कारण फेफड़ो का कमजोर होना, फेफड़ों में जकड़न होना आदि में चमत्कारिक लाभ दिलाता है।
- यह पुराना नज़ला, पुरानी जुकाम, नाक से पानी आना बार बार छींके आना एवं एलर्जी में उपयोगी है।
धामी सिरप(Dhami Syrup)
सांस सम्बन्धी सभी बिमारियों में लाभप्रद
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- आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से निर्मित(100% Herbal)
- कोई भी दुष्प्रभाव नहीं(No Side Effects)
- कफ को नियंत्रित करता है
- फेफड़ों में हवा का प्रवाह बढ़ाता है
- सांस फूलना कम करता है
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